जानिए आयकर रिटर्न दाखिले में सेक्शन 80 के बारे में और इसके लाभ के बारे में

हालांकि रिबेट बेनिफिट बढ़ाए जाने के चलते अब 5 लाख रुपये तक की आय टैक्स फ्री हो गई है परन्तु भारत में सैलरी पाने वाले किसी व्यक्ति की सालाना आय अगर 2.5 लाख रुपये से ज्यादा है तो वह आयकर के दायरे में आता है | आयकर कानून विभिन्न सेक्शंस द्वारा व्यक्तिगत करदाता और कंपनियों दोनों को टैक्स कटौती की सहूलियत देता है. सैलरीड क्लास के लिए ऐसे विकल्प मौजूद हैं | आज मैं आपको 18 ऐसे सेक्शन बताऊंगा जिससे आप अपनें टैक्स में बचत कर सकते हैं |

जानिए आयकर रिटर्न दाखिले में सेक्शन 80 के बारे में और इसके लाभ के बारे में

व्यक्तिगत सैलरीड क्लास करदाता विभिन्न सेक्शंस के तहत निवेश और खर्च जैसे- स्मॉल सेविंग्स स्कीम्स, NPS, लोन, डोनेशन, बच्चों की फीस, माता-पिता का इलाज या इंश्योरेंस आदि के जरिए आयकर बचा सकते हैं | इनमें अब इलेक्ट्रिक कार खरीदना भी शामिल हो गया है | आइए जानते हैं आयकर कानून के ऐसे ही सेक्शंस और टैक्स कटौती को लेकर उनके प्रावधानों के बारे में….

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1. सेक्शन 24

अगर आपने होम लोन लिया है तो आयकर कानून के सेक्शन 24 के अंतर्गत किसी वित्त वर्ष में होम लोन के ब्याज के भुगतान पर 2 लाख रुपये तक की टैक्स कटौती का लाभ ले सकते हैं | वहीं होम लोन के मूलधन पर सेक्शन 80C के तहत टैक्स कटौती का फायदा मिलता है |

2. सेक्शन 80C

आयकर कानून के सेक्शन 80C के तहत अधिकतम 1.5 लाख रुपये निवेश कर टैक्‍स डिडक्शन क्‍लेम कर सकते हैं | इस सेक्शन के अंतर्गत टैक्स कटौती का फायदा पाने के लिए जीवन बीमा प्रीमियम, ELSS, EPF कंट्रीब्‍यूशन, LIC के एन्युइटी प्लान में कॉन्ट्रीब्यूशन, NPS में निवेश, पोस्‍ट ऑफिस स्‍मॉल सेविंग्स स्‍कीम्‍स, PPF, टैक्स सेवर FD, सुकन्या समृद्धि स्कीम, ULIP, नाबार्ड बॉन्ड और होम लोन के प्रिंसिपल अमाउंट का रिपेमेंट और दो बच्चों की ट्यूशन फीस भी इसमें शामिल है |

3. सेक्शन 80CCC

सेक्शन 80CCC बीमा पॉलिसी के किसी भी एन्युइटी प्लान में निवेश पर टैक्स डिडक्शन क्लेम करने की सुविधा देता है | लेकिन इसके लिए प्लान पेंशन देने वाला होना चाहिए | एन्युइटी प्लान से हासिल पेंशन या इस प्लान को सरेंडर किए जाने पर ब्याज सहित मिलने वाली कुल राशि या बोनस आयकर के दायरे में आते हैं |

4. सेक्शन 80CCD

सेक्शन 80CCD(1) पेंशन अकाउंट में जमा पर टैक्स में छूट दिलाता है | सैलरीड इंप्लॉई अपनी सैलरी का 10 फीसदी तक पेंशन अकाउंट में जमा कर छूट पा सकता है, जो अधिकतम 1.5 लाख रुपये है | सेक्शन 80CCD(1B) के जरिए सैलरीड इंप्लॉई अपनी तरफ से NPS अकाउंट में डिपॉजिट कर अतिरिक्त टैक्स छूट का लाभ ले सकता है | यह अधिकतम  50000 रुपये तक की होगी |

नोट: सेक्शन 80C, 80CCC और 80CCD (1B) के तहत कुल मिलाकर 1.5 लाख रुपये से ज्यादा की टैक्स छूट का लाभ नहीं लिया जा सकता है |

5. सेक्शन 80CCD (2)

नियोक्ता के अंशदान पर भी कर्मचारी सेक्शन 80CCD (2) के तहत टैक्स डिडक्शन क्लेम कर सकता है | यह सैलरी के 10 फीसदी के बराबर होता है |

6. सेक्शन 80D

व्यक्ति या HUF सेक्‍शन 80C के अंतर्गत मिलने वाले टैक्स डिडक्शन के अतिरिक्‍त सेक्‍शन 80D के तहत अपने, पति/पत्नी और निर्भर बच्चों के मेडिकल इंश्योरेंस के लिए चुकाए गए प्रीमियम पर अधिकतम 25 हजार रुपये (सीनियर सिटीजन करदाता के मामले में 50 हजार रुपये) तक के टैक्स डिडक्शन का लाभ ले सकते हैं | इस सीमा के ऊपर अगर करदाता 60 साल से कम उम्र के माता—पिता के लिए मेडिकल इंश्योरेंस प्रीमियम और/या मेडिकल खर्चों का वहन कर रहा है तो उसे 25 हजार रुपये का अतिरिक्त (60 साल से ज्यादा उम्र यानी सीनियर सिटीजन माता-पिता के मामले में 50 हजार रुपये का अतिरिक्त) टैक्स डिडक्शन मिलेगा | इसके अलावा कोई व्यक्तिगत करदाता सेक्शन 80D के तहत प्रिवेंटिव हेल्थ चेक-अप पर हुए खर्च के लिए 5 हजार रुपये का क्लेम भी कर सकता है लेकिन यह उपरोक्त खर्च सीमा के भीतर ही होगा |

अगर किसी टैक्सपेयर और उसके पेरेटेंस दोनों की उम्र 60 साल या उससे ज्यादा है तो इस सेक्शन के तहत इंश्योरेंस प्रीमियम के जरिए अधिकतम 1 लाख रुपये तक की टैक्स छूट पाई जा सकती है | हालांकि हर मामले में शर्त यह है कि प्रीमियम का भुगतान कैश में न किया गया हो |

7. सेक्शन 80DD

व्यक्ति या HUF इस सेक्शन के जरिए खुद पर निर्भर किसी दिव्यांग रिश्तेदार के मेडिकल ट्रीटमेंट, ट्रेनिंग आदि पर टैक्स डिडक्शन क्लेम कर सकता है | इसमें उस दिव्यांग रिश्तेदार की देखभाल के लिए किसी विशिष्ट स्कीम में जमा भी छूट के दायरे में आएगी |

अगर निर्भर रिश्तेदार 40 फीसदी या इससे ज्यादा लेकिन 80 फीसदी से कम डिसेबल है तो टैक्स में 75000 रुपये की छूट मिलेगी | अगर रिश्तेदार गंभीर रूप से डिसेबल है यानी 80 फीसदी से ज्यादा तो टैक्स छूट 1.25 लाख रुपये रहेगी | इस क्लेम के लिए किसी मान्य मेडिकल अथॉरिटी से डिसेबिलिटी सर्टिफिकेट जरूरी होगा |

8. सेक्शन 80DDB

आयकर कानून के सेक्‍शन 80DDB के तहत चुनिंदा बीमारियों के मामले में सैलरीड इंप्लॉई अपने या खुद पर निर्भर परिवार के सदस्‍य के इलाज पर अधिकतम 40,000 रुपये टैक्‍स कटौती क्‍लेम कर सकते है | सीनियर सिटीजन के इलाज के मामले में 1 लाख रुपये तक के मेडिकल खर्च पर टैक्‍स छूट का फायदा लिया जा सकता है | इसके लिए आपको इलाज का बिल दिखाना होता है |
अगर इलाज का खर्च बीमा कंपनी या इंप्लॉई के एंप्लॉयर की ओर से रिंबर्स किया गया है तो रिंबर्स की गई राशि को घटाने के बाद बचे खर्च पर टैक्स कटौती का फायदा मिलेगा |

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9. सेक्शन 80E

इसके तहत उच्च शिक्षा के उद्देश्य से लिए गए लोन पर टैक्स डिडक्शन क्लेम किया जा सकता है | लोन करदाता, पत्नी, बच्चे या फिर किसी भी ऐसे स्टूडेंट के लिए हो सकता है, जिसका करदाता कानूनी अभिभावक हो | टैक्स कटौती का लाभ लोन का ब्याज चुकाया जाना शुरू किए जाने वाले साल से 8 साल तक या पूरा ब्याज चुकता हो जाने, जो भी अवधि पहले खत्म हो तक लिया जा सकता है |

10. सेक्शन 80G

आयकर कानून का सेक्‍शन 80G कुछ निश्चित संगठनों या संस्थानों को डोनेशन या दान देकर टैक्स कटौती का लाभ पाने का विकल्प देता है | कटौती का क्लेम कुछ मामलों में 100 फीसदी तक तो कुछ में 50 फीसदी तक या किसी में बिना लिमिट वाला हो सकता है | हालांकि कैश में 2000 रुपये से ज्यादा की डोनेशन पर कर कटौती का फायदा नहीं मिलेगा |

11. सेक्शन 80GG

इस सेक्शन के तहत उन लोगों को घर के किराए पर टैक्स छूट मिलती है, जिन्हें सैलरी के साथ HRA (House Rent Allowance) नहीं मिलता है | साथ ही टैक्स देने वाले, उसकी पत्नी या नाबालिग बच्चे के पास कोई आवासीय संपत्ति नहीं होनी चाहिए | सेक्शन 80GG के तहत किराए पर मिलने वाली छूट इस तरह है-

  • रेंट पेड माइनस कुल एडजस्टेड इनकम का 10 फीसदी
  • प्रतिमाह 5000 रुपय
  • एडजस्टेट इनकम का 25 फीसदी

12. सेक्शन 80GGA

अगर व्यक्तिगत करदाता सरकार द्वारा मंजूर (35(1)(ii), 35(1)(iii), 35CCA, 35CCB के तहत) किसी वैज्ञानिक अनुसन्धान करने वाली संस्था, यूनिवर्सिटी या कॉलेज को दान देता है तो उसे इस रकम पर टैक्स कटौती का फायदा मिलता है | हालांकि 10000 रुपये से अधिक के चंदे पर यह फायदा तभी हासिल किया जा सकता है जब दान नकदी के अलावा किसी अन्य माध्यम से दिया गया हो | कारोबारी या पेशेवर आमदनी से इस तरह का दान छूट के दायरे में नहीं आता है |

13. सेक्शन 80GGC

सैलरीड इंप्लॉई द्वारा किसी राजनीतिक दल या इलेक्टोरल ट्रस्ट को दिए गए चंदे पर टैक्स में छूट पाई जा सकती है, हालांकि यह चंदा कैश में नहीं होना चाहिए |

14. सेक्शन 80EEA

होम लोन के ब्याज का भुगतान करने पर पहले से ही सेक्शन 24 के तहत डिडक्शन मिलता है | बजट 2019 में हुए एलान के बाद अब सेक्शन 80EEA के तहत होम लोन के ब्याज भुगतान पर 1.5 लाख का डिडक्शन अलग से मिलेगा | लेकिन इसके लिए लोन 1 अप्रैल 2019 के बाद और 31 मार्च 2020 से पहले लिया गया होना चाहिए | साथ ही इस डिडक्शन का फायदा लेने के लिए आपके होम लोन की रकम 45 लाख रुपये से ज्यादा नहीं होनी चाहिए | इस तरह सैलरीड क्लास होम लोन के ब्याज पर 1 साल में 3.5 लाख रुपये तक का डिडक्शन क्लेम कर सकते हैं |

15. सेक्शन 80EEB

बजट 2019 में हुए एलान के मुता​बिक इलेक्ट्रिक व्हीकल (EV) खरीदने के लिए लोन लेने पर चुकाए जाने वाले ब्याज पर 1.5 लाख रुपये तक का टैक्स डिडक्शन क्लेम किया जा सकता है | EV लोन के ब्याज पर नए टैक्स डिडक्शन का क्लेम 1 अप्रैल 2020 से आयकर कानून के सेक्शन 80EEB के तहत किया जा सकेगा | इसके लिए यह लोन 1 अप्रैल 2019 से 31 मार्च 2023 के बीच लिया गया होना चाहिए | साथ ही डिडक्शन का फायदा केवल पहले EV लोन पर ही लिया जा सकता है |

16. सेक्शन 80TTA

आयकर कानून का यह सेक्शन किसी भी बैंक, पोस्ट ऑफिस या को-ऑपरेटिव सोसायटी में बचत खाते से 10000 रुपये तक की ब्याज आय पर टैक्स डिडक्शन का फायदा देता है | इसका लाभ व्यक्ति या HUF (Hindu Undivided Family) ले सकते हैं | हालांकि इसके तहत FD, RD या कॉरपोरेट बॉन्ड से हासिल ब्याज टैक्स फ्री नहीं होता है |

17. सेक्शन 80TTB

सेक्शन 80TTB के तहत सीनियर सिटीजन को जमा पर 50000 रुपये तक की ब्याज आय टैक्स फ्री है |

18. सेक्शन 80U

अगर कोई व्‍यक्ति शारीरिक या मानसिक तौर पर दिव्यांग है तो वह सेक्‍शन 80U के तहत 75,000 रुपये तक का टैक्स डिडक्शन क्लेम कर सकता है | इसमें ब्लाइंडनेस भी शामिल होगी | गंभीर रूप से शारीरिक दिव्यांगता के मामले में टैक्‍स कटौती 1.25 लाख रुपये तक हो सकती है |

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  • इनकम टैक्स रिटर्न कैसे दाखिल करें ?

आप इनकम टैक्स विभाग की वेबसाइट https://www.incometaxindiaefiling.gov.in/home   पर लॉग इन करके अपना रिटर्न दाखिल कर सकते हैं परन्तु यदि आपको इनकम टैक्स के विषय में ज्यादा जानकारी नहीं है तो आप कदापि ऐसा न करें क्योंकि गलत जानकारी दर्ज करने पर आपको रिक्टिफिकेशन  फाइल करना पड़ सकता है या इनकम टैक्स से नोटिस भी आ सकती है |

यदि आप एक इनकम टैक्स के बारे में ज्यादा नहीं जानते तो हम मामूली शुल्क में आपका इनकम टैक्स रिटर्न फाइल कर देंगे |
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